आचार्य श्रीराम शर्मा >> अन्त्याक्षरी पद्य-संग्रह अन्त्याक्षरी पद्य-संग्रहश्रीराम शर्मा आचार्य
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जीवन मूल्यों को स्थापित करने के लिए अन्त्याक्षरी पद्य-संग्रह
(ज्ञ)
ज्ञान गंगा नहा ले मन मेरे। धन्य जीवन बना ले मन मेरे॥
ज्ञान दाताओं की सन्तान, पुनः दो जन-जन को सद्ज्ञान॥
ज्ञान निधे तुम्हारे चरणों की, धूलि मिले जीवन तर जाए।
जिसके दिल से मिलें दुआएँ, वो जर्रा सूरज बन जाये॥
ज्ञान रतन की कोठरी, चुम्बक दीन्हों ताल।
पारखि आगे खोलिये, कुंजी वचन रसाल॥
ज्ञानी ध्यानी योगरत, विद्या बुद्धि प्रवीन।
बात न पूछे तातहू, है यदि वित्त विहीन॥
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